Pages

Followers

Sunday, December 21, 2014

har vakt apni khamiyon ko niharataa hun

हर वक्त अपनी ही खामियों को निहारता हूँ मैं,
देखकर आयना उसमे, कुछ को निखारता हूँ मैं।
गैरों के गिरहबान में झांकने की मेरी आदत नहीं,
मगर नफरत फैलाने वालों को पहचानता हूँ मैं।

डॉ अ कीर्तिवर्धन  

No comments:

Post a Comment