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Thursday, December 11, 2014

kuchh teri chahten jo dil me dafan hain mere

कुछ तेरी चाहतें जो दिल में दफ़न हैं मेरे,
कुछ वायदे जो मुझसे नयन करते हैं मेरे।
चाहता हूँ तुम सामने बैठी रहो, मैं देखता रहूँ,
जमाने की रुसवाई का डर, लब खामोश हैं मेरे।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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