यूँ तो मैं गम ही पीता हूँ, कभी अधिक कभी कम पीता हूँ,
जब से तुमसे नजर मिली है, आँसू तज खुशियाँ पीता हूँ।
बरस रही जो तेरी अँखियाँ, हर आँसू मोती के मानिंद,
प्यासा हूँ मैं तेरे दरस का, उसकी अभिलाषा में पीता हूँ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
जब से तुमसे नजर मिली है, आँसू तज खुशियाँ पीता हूँ।
बरस रही जो तेरी अँखियाँ, हर आँसू मोती के मानिंद,
प्यासा हूँ मैं तेरे दरस का, उसकी अभिलाषा में पीता हूँ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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