मुक्तक मंथन -32, चित्र मुक्तक
आदरणीया दीपिका द्विवेदी दीप जी को सादर --
संगमरमरी चट्टानों को तराश, नक्शा बना दिया,
माँ नर्मदे तुम्हे धन्य है, तुमने भारत दिखा दिया।
सहस्त्रबाहु की क्रीड़ा स्थली का साक्षी, भेड़ा घाट,
जबलपुर को माँ तुमने, विश्व का सिरमौर बना दिया।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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