Pages

Followers

Wednesday, January 14, 2015

naksali kaun --samikshaa

नक्सली कौन------------------------------?

युवा साहित्यकार संजय कुमार “अविनाश” का राष्ट्र के सम्मुख ज्वलंत समस्या पर सवाल करता नवीनतम उपन्यास “नक्सली कौन” मेरे हाथ में है। सर्वप्रथम तो इसके शीर्षक  ने ही मुझे सोचने को विवश किया और इससे भी अधिक इस बात ने कि यह गंभीर सवाल मेरे देश की युवा पीढ़ी के जहन में उपजा और इसका उत्तर खोजने की कवायद में संजय ने अनेकों लोगों का साक्षात्कार और विषय पर शोध किया।
कुछ समय पूर्व मुझे भी मणिपुर तथा नागालैंड जाने का अवसर मिला था। वहां के निवासियों तथा सुरक्षा बालों के अधिकारीयों से मैंने भी वहाँ फैले उग्रवाद नक्सली तथा आतंकी घटनाओं के विषय में समझने का प्रयास किया था। तत्पश्चात संजय का उपन्यास “नक्सली कौन” प्राप्त हुआ तो युवा उपन्यासकार के अथक श्रम से सच्चाई के करीब तक जाकर समस्याओं को  करने की सार्थक कोशिश को सराहे बिना न रह सका।

मूल प्रशन “नक्सली कौन”? की बात करूँ तो बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव के चरित्र को  समझना होगा।  किसानों, आदिवासियों व श्रमिकों द्वारा अपने शोषण के विरुद्ध आवाज उठाना तथा तत्कालीन राजा- रजवाड़ों, जमीदारों तथा शासकों द्वारा इस आवाज को कुचलने का षड़यंत्र, ततपश्चात गरीबों के मसीहा बनकर अपनी सत्ता की जमीन तलाशते वामपंथियों द्वारा आंदोलन को हिंसक बनाकर स्वार्थ की रोटी सेकने का प्रयास ही समस्या का मूल कारण है। “अविनाश” ने हर पहलू का गंभीरता से अध्यन किया है।  एक ओर किसानों, आदिवासियों व मजदूरों की विकराल होती समस्याएँ, अपनी ही धरती से विछोह और दूसरी तरफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे वामपंथी नेताओं के चरित्र का दोगलापन, साथ में सफेदपोश पूंजीवाद समर्थक उद्योगपतियों व राष्ट्र की अगुवाई करने वाले जन प्रतिनिधियों का  घिनौना खेल --सब कुछ सहज सरल भाषा में बेबाकी से उजागर किया गया है।  यह सच है कि यह उपन्यास “नक्सली कौन” उपन्यासकार की मौलिक सोच पर आधारित लम्बी कहानी है। यह भी सच है की साहित्य ही समाज का दर्पण होता है तथा साहित्यकार की रचना का आधार भी समाज होता है।

युवा संजय ने इस उपन्यास के माध्यम से समाज को झकझोरने का प्रयास किया है और राजनैतिक इच्छा शक्ति का समस्या के समाधान के लिए आह्वान भी किया है। मेरा भी यह मत है कि नक्सली समस्या के समाधान के लिए सरकार को असली कारणों की पड़ताल कर उनका समाधान खोजना चाहिए। मगर इससे पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों एवं उच्चाधिकारियों की सतर्क जांच की जाए। हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है परन्तु अत्याचार की विवशता हिंसा तलाशती है। झूठी वाह-वाही  पाने का खेल अनेक निर्दोषों को अपराधी बनाने पर विवश करता है।

पुनः कहना चाहूँगा कि  युवा उपन्यासकार संजय कुमार अविनाश की उपन्यासिक कृति “नक्सली कौन” मात्र उपन्यास नहीं अपितु उपन्यास की शक्ल में समस्या पर शोध पत्र है , जिसपर गंभीरता से चिंतन- मनन कर समाधान की आवश्यकता है। मैं संजय कुमार को राष्ट्रीय समस्या  केंद्रित विषय को लेकर लिखे उपन्यास के लिए हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ और यह भी विश्वास करता हूँ कि भारत सरकार भी इसमे  मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेगी तथा किसानों -मजदूरों व आदिवासियों को उनका हक़ दिलाकर विकासधारा में शामिल करेगी।  
संजय कुमार अविनाश के लिए मेरी अशेष शुभकामनाएं।


डॉ अ कीर्तिवर्धन
विद्या लक्ष्मी निकेतन,
53- महालक्ष्मी एन्क्लेव
मुज़फ्फरनगर -251001 उत्तर प्रदेश
08265821800

पुस्तक--”नक्सली कौन “
उपन्यासकार-संजय कुमार अविनाश
प्रकाशक- उद्योग नगर प्रकाशन- गाजियाबाद

मूल्य 300/-

No comments:

Post a Comment