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Tuesday, February 17, 2015

kitani pidaa hoti hai--- kaanun vyavstha par

मेरे विचार से देश में सबसे अधिक आवश्यकता कानून व्यवस्था में सुधार की है। केन्द्र हो या राज्य सरकार सबका दायित्व नागरिकों को भयमुक्त समाज उपलब्द्ध कराना होता है।  विडम्बना यह है कि अधिकतर राज्यों में अपराध का ग्राफ बढ़ा है। अपराधियों की पुलिस तथा नेताओं से सांठ-गाँठ की खबरें रोज ही सुर्ख़ियों में रहती हैं। दूसरी और नक्सलवाद के नाम पर भी अनेक लोग निहत्थे नागरिकों व सुरक्षा कर्मियों को अपना निशाना बनाते रहते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन अपराधियों को संरक्षण देने वाले कौन लोग हैं ? इस पर विचार नहीं किया जाता, यदाकदा छोटे अपराधियों को पकड़कर खाना पूर्ती कर ली जाती है। आखिर कब तक बेगुनाह नागरिक मरते रहेंगे ?
यह भी देखने में आता है कि जब भी किसी बड़े आदमी के साथ कोई हादसा होता है तभी सारा तंत्र सक्रिय होता है। क्या लगता है की आम आदमी की कोई हैसियत नहीं है ? कल महाराष्ट्र में कम्युनिस्ट पार्टी के किसी दंपत्ति को गोली मारी गयी, यह बहुत निंदनीय है मगर सवाल यह है कि क्यों -------

कितनी पीड़ा होती है, जब अपनो को गोली लगती है,
मरते कितने रोज यहाँ, तब बोली नहीं निकलती है।
करें समर्थन नक्सलियों का, रोज निहत्थों को मारें,
क्यों खामोश रहा करते, जब मानवता की अर्थी चलती है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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