गर हसरतें थी दिल में, इजहार तो करते,
फिर मेरी तकरीर का भी, इंतज़ार तो करते।
खुद ही सोचा, कर दिया फैसला तकदीर का,
बिन गुनाह सजा से पहले, सवाल तो करते।
फिर मेरी तकरीर का भी, इंतज़ार तो करते।
खुद ही सोचा, कर दिया फैसला तकदीर का,
बिन गुनाह सजा से पहले, सवाल तो करते।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
No comments:
Post a Comment