काश्मीर घाटी में सियासत -----------
अलगाववाद के समर्थकों को, क्यों मुफ़्ती ने छोड़ा है,
देश की अस्मिता से क्यों, मुफ़्ती ने नाता तोड़ा है ?
खेल रहां जो खेल घाटी में, युवकों को भड़काने का,
‘मसरत’ जैसा आतंकी, जो राष्ट्र विकास में रोड़ा हैं।
राष्ट्रहित में गठबन्धन से, काश्मीर सरकार बनी,
गठबन्धन के समझौतों से, क्यों नज़रों को मोड़ा है ?
रिहा हुए ‘मसरत आलम’ ने, काश्मीर गुलाम बताया,
सम्पूर्ण विपक्ष ने इसका ठीकरा, बी जे पी पर फोड़ा है।
‘महबूबा’ ने भी किया समर्थन, कैदियों की रिहाई का,
हुर्रियत ने भी एक बार फिर, राग काश्मीर छोड़ा है।
‘मुफ़्ती’ मुफ्त की बातों से, नहीं भला घाटी का होगा,
काश्मीर को नरक बनाकर, मार्ग विकास का मोड़ा है।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
No comments:
Post a Comment