सच्ची आँखों देखी घटना पर आधारित एक कविता -----------
लँगड़े की बैसाखी, बच्चे का खिलौना,
रेल आई- रेल आई, लेकर दौड़ा छौना।
सुख की परिभाषा, उस बच्चे से पूछो,
न खाने को रोटी, न सोने का बिछौना।
खेलता है फिर भी, रूखी रोटी खाकर,
माँगता नहीं वह, कोई कार या खिलौना।
देखा है उसको मैंने, कुछ सपने सजाते,
खुले गगन तले ही, चाहता है वह सोना।
धरती से अम्बर तक हैं, उसकी सीमाएं,
देखता है सबको वह, बस रोटी का सपना।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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