आँख से दूर होकर, जो दिल से उतर गया,
दरिया भी क्या, बरसात के जाते उतर गया।
परिन्दे को कर दिया, पिंजरे से आज़ाद मगर,
पिंजरा खोलने से पहले, उसके पर कुतर गया।
कहते हैं जाना नहीं चाहता, यह घर छोड़कर,
कैसे कहें कि उड़ने का हौसला ख़त्म कर गया।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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