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Wednesday, April 8, 2015

ahalyaa- samvedaanyen jab mar jaati hain

रामायण के बहुचर्चित पात्र “अहल्या” के पत्थर बनने के आयाम ------------

संवेदनाएं जब मर जाती हैं, जीवन पहाड़ सा बन जाता है,
हर पल- पल-पल जीवन का, शिला सा भारी हो जाता है।

अहल्या क्यों शिला बनी थी, आज समझ में आता है,
परित्याग जब किया पति ने, पत्थर बनना ही भाता है।

संवेदना के दो बोल भी, ऋषि डर से जब नहीं मिले,
एकांत का हर एक पल उसका, पर्वत सा बन जाता है।

परित्यक्ता अहल्या से जब, राम ने आ संवाद किया,
संवेदना की अपनी बातों से, उलझन को भी दूर किया।

पिंघल गयी पाषाण प्रतिमा, आँसू से सारा पाप धुला,
सम्वेदना के दो बोल से, अहल्या का उद्धार हुआ।


डॉ अ कीर्तिवर्धन  
विद्यालक्ष्मी निकेतन
53- महालक्ष्मी एन्क्लेव
मुज़फ्फरनगर-251001 उत्तर प्रदेश
08265821800

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