सुबह की धूप से, सबके घर उजाला भर दे,
थोड़ी सी रौशनी, मेरे जीवन में भी कर दे।
नहीं चाहता धूप समेटना,बस अपने आँगन,
सूरज ! रौशनी से, सारे जग को रोशन कर दे।
खुशियों की सौगात मिले, मेरे पडोसी को भी,
उसकी ख़ुशी से ही, मुझको भी दीवाना कर दे।
जरुरी तो नहीं फूल खिलें, मेरी ही बगिया में,
कहीं भी खिलें, खुशबू से मन प्रफुल्लित कर दें।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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