सभी टी वी चैनलों पर दिखाई जा रही तस्वीरों को देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे सेना तथा वहां की पुलिस, कुछ स्वयं सेवी संस्थाएं और अस्पतालों का काम है लोगों को बचाना। जो लोग बच गए वह कैम्पों में रहकर अपने आप को धन्य समझ रहे हैं। कितना अच्छा होता कि सब लोग मिलकर गलियों में पड़े मलवे को सहायता करते , सडकों को आवागमन के लिए खोलने में मदद करते ताकि जो सेना -पुलिस के जवान काम कर रहे हैं उनका भी हौसला बढ़ता। हाथ पर हाथ रखकर बैठने का समय नहीं है बल्कि हाथ बढ़ाकर काम करने का समय है।
संकट की घडी में हम सबको आर्थिक सहायता सीधे प्रधान मंत्री सहायता कोष में भेजनी चाहिए, ताकि सही उपयोग हो सके।
जल्द ही प्रत्येक शहर में कुछ लोग चन्दा और सामान इकट्ठा करेंगे। उसका क्या होगा किसी को पता नहीं चलता।
प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए ड्राफ्ट पर कोई कमीशन नहीं लिया जाता है। अगर कोई व्यक्ति चाहे तो नैनीताल बैंक लिमिटेड से संपर्क कर सकता है।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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