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Tuesday, April 7, 2015

padhaa tha maine vah sab jo tune likha hi nahi tha, nadi ne khudkasi

पढ़ा था मैंने वह सब, जो तुमने लिखा ही नहीं था,
सूना था मैंने वह सब, जो तुमने कहा ही नहीं था।

कहते हैं नदी ने खुदकशी कर ली, मिटटी में डूबकर,
किनारों के लिए यह दर्द, कुछ कम तो नहीं था।

करता था बेपनाह मोहब्बत, वो मेरा दीवाना था,
मगर मेरे जनाजे में वो शख्स, आया तो नहीं था।  

मेरी निगाहें ढूंढ़ रही थी उसको, जमाने की भीड़ में ,
कहाँ है, कैसा है ? कई रातों से वो सोया ही नहीं था।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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