मित्रों अक्सर देखता हूँ कि कुछ लोग जो लिखते हैं उस पर लाइक या कमेन्ट नहीं मिलने पर उदास हो जाते हैं। मुझे लगता है कि हमारा काम सृजन करना है और प्रतिक्रिया देना पाठक का काम है। प्रतिक्रिया नहीं देने का मतलब यह नहीं है कि कोई पढ़ नहीं रहा है -------
सब अपना अपना गढ़ते हैं, हम भी सबको पढ़ते हैं ,
कुछ बातें दिल के आसपास, कुछ नैनो से बस तकते हैं ।
कुछ मिलता बकवास यहाँ, कुछ ज्ञान धर्म को रचते हैं ,
क्या क्या तुमको बतलाएं, कुछ नैन मटक्का करते हैं ।
कुछ कहते सबको पसंद करो, मत सोचो ,आँखें बंद करो ,
कैसे पी लूँ विष प्याला, जिसमे साकी ने हाला में डाला ?
जो दिल को छू जाएगा, जो जीवन का सार बताएगा ,
कहने की नहीं बात यहाँ, वह प्यार सभी का पायेगा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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