ठुकराकर सास- ससुर और ससुराल का घर,
जताती जो अपने माँ- बाप से प्यार है अमर,
बेटा भी जो छोड़-छाड़ कर माँ- बाप को अपने,
खुश होता ससुराल की चौखट पर नाक रगड़,
भटकते हैं ऐसे लोग धोबी के कुत्ते के मानिन्द,
रह जाते हैं अक्सर तन्हां बुढ़ापे के सफर पर।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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