आप मेरे प्रभो हैं ------भजन संग्रह
कवि -डॉ सन्त शरण त्रिपाठी “संत”
हमारी पुष्पांजलि-----
जब भी मन व्याकुल हुआ, बढे ताप -संताप,
भजन, कीर्तन- सत्संग, मिटें सभी तब पाप।
“आप मेरे प्रभो हैं”, हो जानत मन की बात,
भक्ति का वरदान दें, कृपा कीजिये नाथ।
अंजुरी भर भजन की, पुष्पांजलि श्री राम,
“संत” हृदय से प्रस्फुटित, “कीर्ति” का हो नाम।
“शरण” आपकी आये हैं, रघुवर दीन दयाल,
“त्रिपाठी” सा मित्र मिला, ज्यों हनुमत को राम।
सन्त शरण त्रिपाठी जी पर प्रभु श्री राम की अनन्य कृपा है। उनकी एक पुस्तक “कुछ कहूँ न कहूँ” प्रभु श्री राम को समर्पित पूर्व में भी आ चुकी है। “आप मेरे प्रभो हैं” उनकी दूसरी कृति है जिसमे उन्होंने भजनों को स्थान दिया है। वर्तमान में हमारे भजनों पर फ़िल्मी धुनों का प्रभाव इस प्रकार बढ़ता जा रहा है कि बैठते हैं भजन सुनने और मन विचरण करने लगता है किसी पिक्चर के नायक- नायिका के साथ। ऐसे समय में संत जी के भजन मन को शांति पहुँचाते हैं और मष्तिस्क को एकाग्रता की और उन्मुख करते हैं।
सन्त जी पर माँ सरस्वती की अनुपम कृपा है तभी तो श्री राम कथा कहते समय वह सुध-बुध खोकर जब भजन गाते हैं तो भक्त झूमने लगते हैं। त्रिपाठी जी के भजन संग्रह “आप मेरे प्रभो हैं” की भूमिका में दो शब्द लिखने का मुझे भी अवसर मिला, स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।
माँ सरस्वती एवं प्रभु की कृपा उन पर निरंतर बानी रहे और हम भी उनकी कृपा के पात्र बने रहें, ऐसी प्रभु से कामना।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
53 महालक्ष्मी एन्क्लेव
मुज़फ्फरनगर 251001 उत्तर प्रदेश
08265821800
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