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Sunday, August 10, 2008

स्वपन दृष्टा

मैं स्वपन दृष्टा हूँ।
हरपल जिया करता हूँ
ख़्वाबों की दुनिया को
हकीकत मे बदलता हूँ।
बाधाएँ मेरी चुनौती हैं ।
लक्ष्य मात्र विश्राम के कुछ पल ।
लक्ष्य पाने का मतलब ठहरना नही,
अपितु आगे बढ़ना है
नये लक्ष्य पाने तक।

लक्ष्य नाम है नये विश्वास का
एवम उत्साह के साथ
अनवरत बढ़ते जाने का ।
व्यवधान रास्ता रोकने को नही
बल्कि प्रेरित करते है
नया मार्ग खोजने को।
इसलिए
कर्मठ व्यक्ति
सदैव आगे बढ़ते हैं
तथा ख़ुद महान बनकर
लक्ष्य को गौरवान्वित करते हैं ।
"मेरी उड़ान " पुस्तक से

1 comment:

  1. बहुत बढिया रचना है।

    व्यवधान रास्ता रोकने को नही
    बल्कि प्रेरित करते है
    नया मार्ग खोजने को।

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