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Sunday, February 27, 2011

tin baaten

__-तीन बातें_

सिमट रहा है------
नदी का नीर
स्त्री का चीर
मन का धीर।

फ़ैल रहा है-------
भ्रष्टाचार का जाल
मानव का दुर्व्यवहार
औरत पर अत्याचार।

कम हो रहा है--
बच्चों मे सदाचार
परिवार मे प्यार
रिश्तों का संसार।

बढ़ रहा है------
नशे का व्यापार
धर्मान्धता का बुखार
शिक्षा का कारोबार।

बचाना होगा---
नेताओं के भाषण से
मुफ्त के राशन से
सरकारी कुशासन से।

मिटानी होगी--
अश्त्रों-शस्त्रों कि जड़
आतंकवाद कि हद
पाकिस्तान कि सरहद।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

2 comments:

  1. लाजवाब लिखा है आपने। वैसे आपकी बातें हमेशा ही लाजवाब रहती हैं। वैसे भइया आप कमेंट बाक्स से वर्ड वेरीफिकेशन का ऑपशन हटा लेते तो और सुविधा होती।

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  2. बहुत बढिया व सही लिखा बधाई।

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