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Monday, October 22, 2012

mahabharat

महाभारत
आज हस्तिनापुर में फिर से
"महाभारत" हो रहा है
अंतर केवल इतना है
दोनों और कौरव पुत्र खड़े हैं,
पांडू पुत्र ,बेचारे हाशिये पर पड़े हैं |
भीष्म पितामह
क्या करें -क्या न करें
वह भी तो दौराहे पर खड़े हैं
उनकी वफ़ादारी सिंहासन के साथ है
जिस पर अंधे धृतराष्ट्र का राज है |
संजय धृतराष्ट्र को बता रहा है
यह सारा खेल कृषण ही करा रहा है|
कौरवों को आपस में लड़ा कर
कुंती को सुकून पहुंचा रहा है |
गुरु द्रोण भी आज युद्ध भूमि में नहीं हैं
वह भी सिंहासन के साथ थे
मगर दुर्योधन को उनकी वफ़ा पर शक था
बस दुशासन ने उनका हरण कर लिया |
उनका पुत्र अस्वत्थामा भी
अपनों के हाथो मारा गया |
कौरवों के भीतर अंतर्द्वंध बढ़ गया है|
आज पहली बार शकुनी मामा परेशां हैं
शतरंज के पाशे कृषण पर मेहरबान हैं|
सारा खेल उल्टा हो गया
आज महाभारत फिर से हो गया |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

1 comment:

  1. आपकी पोस्ट बुधवार (24-10-2012) को चर्चा मंच पर । जरुर पधारें ।
    सूचनार्थ ।

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