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Friday, October 12, 2012

uljhane

उलझने इस कदर मुझ पर हावी हुई
वुजूद मेरा यहाँ पर सिमटने लगा |
सोचा था बदलूँगा तकदीर मुल्क की
तकदीर पर मेरी खुद ग्रहण लगने लगा |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

1 comment:

  1. सोचा था बदलूँगा तकदीर मुल्क की
    तकदीर पर मेरी खुद ग्रहण लगने लगा |

    नए नेताओं का मुल्क का ग्रहण पुराना
    जैसे बादलों की ओट में चाँद

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