ये उसकी इन्तिहाँ थी ,प्यार में मुझे पाने की ,
और मेरी मजबूरी थी,खुद का वुजूद बचाने की ।
घर पर बूढी माँ और जवान बहन बैठी थी ,
मेरी जिम्मेदारी भी थी उनके सपने सजाने की ।
तू ही बता ऐ जिंदगी, मैं क्या करूँ?
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
और मेरी मजबूरी थी,खुद का वुजूद बचाने की ।
घर पर बूढी माँ और जवान बहन बैठी थी ,
मेरी जिम्मेदारी भी थी उनके सपने सजाने की ।
तू ही बता ऐ जिंदगी, मैं क्या करूँ?
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
जिंदगी की कशमकश.....
ReplyDeleteगहन भाव...
आज पहली दफा आपका blog देखा...पता ही नहीं था.
सादर
अनु