Pages

Followers

Friday, July 12, 2013

khaali khaali sa vah makaan

खाली खाली सा वह मकान ही तो था ,
किसी के अरमानों से सज़ा घर ना था ।
मकानों में रहने वालों के जज्बात नहीं होते,
कुछ पल के मुसाफिर ,आये और चले गए ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment