लरजते होठ , मय से भरे प्याले ,
मचलती जुल्फें , हुस्न पर ज्यों ताले ,
हमें लगता है डर ,इन नशीली आँखों से ,
बिन पिए ही मदहोश ना हो जाएँ हम ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मचलती जुल्फें , हुस्न पर ज्यों ताले ,
हमें लगता है डर ,इन नशीली आँखों से ,
बिन पिए ही मदहोश ना हो जाएँ हम ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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