आओ तुमको बतलाता हूँ , अमर कहानी राणा की ,
चेतक जिसका प्यारा घोड़ा ,राजपूत मस्ताना की ।
राष्ट्र प्रेम में जिसने , अपना सब कुछ वार दिया ,
मुगलों को नित धुल चटाई , अमर वीर महाराणा की ।
घास की रोटी खाकर भी जो , कर्तव्य पथ से नहीं डिगा ,
पन्ना जैसी धाय माँ की , भामा शाह से दानी की ।
जय चंद जैसे गद्दारों की , जिनसे इतिहास कलंकित है ,
पद्मिनी के जौहर की , झाला-मन्ना से बलिदानी की ।
आओ तुमको बतलाता हूँ , अमर कहानी राणा की ,
मेवाड़ की पावन धरती की , प्रताप से अभिमानी की ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
चेतक जिसका प्यारा घोड़ा ,राजपूत मस्ताना की ।
राष्ट्र प्रेम में जिसने , अपना सब कुछ वार दिया ,
मुगलों को नित धुल चटाई , अमर वीर महाराणा की ।
घास की रोटी खाकर भी जो , कर्तव्य पथ से नहीं डिगा ,
पन्ना जैसी धाय माँ की , भामा शाह से दानी की ।
जय चंद जैसे गद्दारों की , जिनसे इतिहास कलंकित है ,
पद्मिनी के जौहर की , झाला-मन्ना से बलिदानी की ।
आओ तुमको बतलाता हूँ , अमर कहानी राणा की ,
मेवाड़ की पावन धरती की , प्रताप से अभिमानी की ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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