सब अपना अपना गढ़ते हैं ,हम भी सबको पढ़ते हैं ,
कुछ बातें दिल के आसपास ,कुछ नैनो से बस तकते हैं ।
कुछ मिलता बकवास यहाँ ,कुछ ज्ञान धर्म को रचते हैं ,
क्या क्या तुमको बतलाएं ,कुछ नैन मटक्का करते हैं ।
कुछ कहते सबको पसंद करो ,मत सोचो ,आँखें बंद करो ,
कैसे पी लूँ विष प्याला , जिसमे साकी ने हाला में डाला ?
जो दिल को छू जाएगा , जो जीवन का सार बताएगा ,
कहने की नहीं बात यहाँ , वह प्यार सभी का पायेगा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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