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Sunday, August 11, 2013

haiku naav bahaanaa

नाव  बहाना
बचपन का खेल
याद आता है ।

रेत के घर
बनाया करते थे
खेल खेल में ।

आतंकवादी
नहीं जानते दर्द
घर खोने का ।

उजाड़ देते
बसे बसाए घर
निज स्वार्थ में ।

वो जानते हैं
नफरत उगाना
काँटों की खेती ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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