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Sunday, August 11, 2013

jamaane ki berukhi ne

जमाने की बेरुखी ने , संभलना सीखा दिया ,
हाथ के छालों में भी , हंसना सिखा दिया ।
रोता था कभी तन्हाई में ,बेरुखी को यादकर ,
उसी का रहमो करम ,मुझे बढ़ना सीखा दिया ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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