महाभारत युद्ध के बाद का भारतीय राजवंश [40][41][42][43]
हिन्दू परम्पराओं एवं पुराणों में दी गयी प्राचीन राजवंशों की सूची के आधार पर तथा अन्य वैदिक ग्रंथों में दी गयी ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर महाभारत काल के बाद का प्राचीन भारतीय राजवंश ऐतिहासिक घटना कालक्रम में निम्नलिखित है-
तिथि एवं काल
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राजवंश
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मुख्य घटनाएँ
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३१००-२००० ईसा पूर्व
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पाण्डव वंश
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इस काल में सर्वप्रथम महाभारत युद्ध हुआ [43] तथा इस युद्ध के बाद युधिष्ठिर राजा बने। युधिष्ठिर से लगभग ३० पीढ़ियों तक यह राजवंश चला। इस वंश के अन्तिम सम्राट क्षेमक हुए, जो मलेच्छों के साथ युद्ध करते हुए मारे गये। क्षेमक के वेदवान् तथा वेदवान् के सुनन्द नामक पुत्र हुआ एवं सुनन्द पुत्रहीन ही रहा, इस प्रकार सुनन्द के अंत के साथ ही पाण्डव वंश का अंत हो गया। [40][41]
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३२००-२२०० ईसा पूर्व
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मगध राजवंश
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३०६७ ईसा पूर्व
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महाभारत युद्ध
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पौराणिक तथा ज्योतिषीय प्रमाणों के आधार पर यह महाभारत युद्ध की प्रसिद्ध परंपरागत तिथि है, परन्तु अभी यह विवादित है आधुनिक विद्वान् इसे १५००-१००० ईसा पूर्व हुआ मानते है यद्यपि आर्यभट व अन्य प्राचीन विद्वानों ने इसे ३००० ईसा पूर्व ही बताया है। [43]
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२२००-१६०० ईसा पूर्व
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प्रद्योत एवं शिशुनाग राजवंश
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यह राजवंश मगध में बृहद्रथ राजवंश के समापन के साथ ही स्थापित हुआ, बृहद्रथ राजवंश के अन्तिम राजा रिपुञ्जय के मन्त्री शुनक ने रिपुञ्जय को मारकर अपने पुत्र प्रद्योत को राजसिंहासन पर बिठाया। प्रद्योत वंश की समाप्ति इनके ५ राजाओं के १३८ वर्षों तक शासन करने के बाद अंतिम राजा नन्दिवर्धन की मृत्यु के साथ हुई। इसके बाद शिशुनाग राजा हुए जिनके वंश में १० राजाओं ने लगभग ३६०-४५० वर्षों तक शासन किया। इस प्रकार कुल ६०० वर्षों तक इस राजवंश का शासन रहा। [40][41]
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२१०० ईसा पूर्व
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पाण्डव वंश का अंत एवं काश्यप की उत्पत्ति
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इस समय के प्रारम्भ में ब्राह्मणों के पूर्वज काश्यप नामक ब्राह्मण का जन्म हुआ, इन्होने मिश्र में जाकर मलेच्छों को मोहित कर आर्यावर्त आने से रोक दिया। फिर काश्यप ने अपने प्रतिनिधि मागध को आर्यावर्त का सम्राट बनाया। मागध ने इस देश को कई विभागों में बाँट दिया। मागध के पुत्र के पुत्र ही शिशुनाग थे। जिनके नाम से शिशुनाग राजवंश चला। इस समय तक पाण्डव वंश भी समाप्त हो गया, जिससे भारत में मगध राज्य की शक्ति बहुत बढ गयी। सिन्धु नदी से पश्चिम के भाग पर यवनों व मलेच्छों ने अधिकार कर लिया। [40][41]
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२००० ईसा पूर्व
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सरस्वती नदी का लुप्त होना
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इस अवधि काल तक सरस्वती नदी लुप्त हो गयी, जिसके कारण ८८००० ऋषि-मुनि कलियुग के बढ़ते प्रभाव को देखकर आर्यावर्त छोड़कर हिमालय पर चले गये, इस प्रकार ज्ञान की देवी सरस्वती नदी के लुप्त हो जाने पर भारत से वैदिक ज्ञान-विज्ञान भी लुप्त हो गया। इसी काल तक सरस्वती सिंधु सभ्यता भी लुप्त हो गयी थी। इसके बाद काश्यप नामक ब्राह्मण के वंशियों ने वैदिक परम्पराओं तथा ज्ञान को बचाये रखा जिससे उन्हें समाज में प्रधानता दी गयी, परन्तु उनमें से कुछ कलियुग के प्रभाव से न बच सके और पतित हो गये जिससे आने वाले हिन्दू समाज में कई कुरीतियाँ फैल गयीं। [40][41][42]
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१६००-१४०० ईसा पूर्व
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नन्द राजवंश
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१४००-११०० ईसा पूर्व
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मौर्य वंश
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मौर्यों के १२ राजाओं ने लगभग ३०० वर्षों तक मगध पर शासन किया [41]
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११००-७०० ईसा पूर्व
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शुंग एवं कण्व वंश
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७००-३०० ईसा पूर्व
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शातवाहन आन्ध्र राजवंश
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४००-१०० ईसा पूर्व
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गुप्त वंश
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टीका एवं स्रोत
- भविष्य पुराण,प्रतिसर्ग पर्व,प्रथम खण्ड
- भागवत पुराण,द्वादश स्कन्ध,प्रथम अध्याय
- महाभारत,गीताप्रेस गोरखपुर
- ऐज आफ महाभारत वार
- इण्डिकस्टडी डॉट कॉम,इतिहास
संदर्भ और टीका
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- ↑ 2.0 2.1 महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर,भीष्मपर्व
- ↑ महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर,आदिपर्व,प्रथम अध्याय
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- ↑ आरकेलोजी ऑनलाइन, साइन्टिफिक वेरिफिकेशन ऑफ वैदिक नोलेज,कुरुक्षेत्र
- ↑ आई एस डॉट कॉम,आरटिकल २९
- ↑ आरकेलोजी ऑनलाइन, साइन्टिफिक वेरिफिकेशन आफ वैदिक नोलेज,ऐविडेन्स फार ऐन्शियन्ट पोर्ट सिटी आफ द्वारका
- ↑ लाक्षागृह
- ↑ महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर
- ↑ महाभारत गीताप्रेस गोरखपुर,भीष्म पर्व-४६.१
- ↑ ए.डी. पुशलकर, पृष्ठ.272
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- ↑ धर्मक्षेत्र.कॉम/महाभारत
- ↑ 18.0 18.1 हिन्दुनेट-भारत इतिहास
- ↑ एज ऑफ महाभारत वार
- ↑ महाभारत,उद्योगपर्व गीताप्रेस गोरखपुर
- ↑ गीता प्रेस गोरखपुर,महाभारत
- ↑ महाभारत,भीष्मपर्व,अध्याय १-४० में दिये गये जनपदों का वर्णन तथा इन जनपदों के कौरव एवं पाण्डव पक्ष से लडने के आधार पर बनायी गयी सूची
- ↑ वी के एस ब्लागl कृष्ण की मृत्यु और कलियुग की प्रारम्भ।मेरी कलम से- कृष्णा वीरेन्द्र न्यास
- ↑ भारतीय साहित्य संग्रह
- ↑ 25.0 25.1 महाभारत की सेना
- ↑ चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना
- ↑ द पर्सनल जनरल स्टडी मैनुएल,हिस्ट्री आफ इण्डिया
- ↑ महाभारत-भीष्मपर्व,श्लोक-११९.२-३ गीता प्रेस गोरखपुर
- ↑ गीता प्रेस गोरखपुर ,महाभारत-ये श्रेणियाँ महाभारत के भीष्म पर्व के रथातिरथसंख्यानपर्व में भीष्म जी द्वारा इन पात्रों के युद्ध कौशल, युद्ध में कम से कम हार, अधिक से अधिक शक्तिशाली दिव्यास्त्रों की संख्या आदि के आधार पर दी गयी हैं। ये श्रेणियाँ इसलिये दी गयी हैं जिससे कि पाठक महाभारत काल के सबसे शक्तिशाली योद्धाओं के बारे में जान सकें।
- ↑ भागवतम् डाट ओआरजी
- ↑ महाभारत,उद्योग पर्व,१६९.१
- ↑ महाभारत,उद्योग पर्व,१९५.१
- ↑ महाभारत गीताप्रेस गोरखपुर,भीष्म पर्व,अध्याय १-१०
- ↑ 34.0 34.1 34.2 34.3 34.4 34.5 34.6 34.7 34.8 34.9 महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर,भीष्मपर्व
- ↑ 35.0 35.1 35.2 35.3 35.4 महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर,द्रोणपर्व
- ↑ महाभारत,गीताप्रेस गोरखपुर,कर्णपर्व
- ↑ महाभारत,गीताप्रेस गोरखपुर,कर्णपर्व एवं शल्यपर्व
- ↑ महाभारत,गीताप्रेस गोरखपुर,सौप्तिकपर्व
- ↑ यह सूचना पौराणिक आधार एवं वैदिक काल के बाद समाज में फैली कुरीतियों के आधार पर दी गयी है, इसका उद्देश्य किसी वर्ग को अपमानित करना नहीं है।
- ↑ 40.0 40.1 40.2 40.3 40.4 40.5 40.6 40.7 40.8 40.9 भविष्य पुराण,प्रतिसर्ग पर्व,प्रथम खण्ड
- ↑ 41.00 41.01 41.02 41.03 41.04 41.05 41.06 41.07 41.08 41.09 41.10 भागवत पुराण,द्वादश स्कन्ध,प्रथम अध्याय
- ↑ 42.0 42.1 42.2 इण्डिकस्टडी डॉट कॉम,इतिहास
- ↑ 43.0 43.1 43.2 43.3 एज आफ महाभारत वार
- ↑ एन्सायक्लोपीडिया ब्रीटेनिका के अनुसार परंपरागत तौर पर बुद्ध का जन्म २३००-५०० ईसा पूर्व के मध्य हुआ माना जाता है
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