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Monday, October 28, 2013

sursari visheshaank hetu --kirti dashak- sitaa raam chauhan

सुरसरि के विशेषांक हेतु --
कीर्ति दशक

मित्र कीर्तिवर्धन मिले , सखा कृष्ण सा साथ ,
अकिंचन था-किंचन हुआ ,थामा जब से हाथ।

साहित्य जगत का सुदामा , मैं था निपट अनाथ ,
मेरी हर नव कृति को , किया समीक्ष्य सनाथ।

एक नहीं -बहु रूप हैं , सदगुण छिपे अनेक ,
नाना रूपों  में तदपि , मानव है वह एक।

दशक पूर्व कि मित्रता , दिन दिन होती दून ,
अहम् नहीं -किंचित कभी , ऐसे मानंव न्यून।

मुख पर स्मिति की सम्पदा , चेहरा कमल समान ,
शरणागत जो भी हुआ , मिला अमित सम्मान।

गुरु हैं मेरे - मित्र भी , कहते वृद्ध जवान ,
मुझमे साहस भर दिया , कह कर मुझे महान।

प्रथम प्रेरक सह धर्मिणी , मिला विरह वरदान ,
द्वितीय मित्र गुरु सम मिले , दिया अलौकिक ज्ञान।

साहित्य जगत के धनुर्धर , अचूक लक्ष्य सन्धान ,
पा कर तुमसे प्रेरणा , सदा लक्ष्य पर ध्यान।

अभी “ पथिक “ हूँ राह का , डगर कटीली धार ,
अभिमन्यु सम व्यूह में , कैसे पाऊँ पार ?

“ सुरसरि “ तुम पर केंद्रित , ” कल्पान्त “कि शान ,
पथ प्रशस्त हो आपका , गाउँ मंगल गान।

सीता राम चौहान “ पथिक”
सी -8 / 234  ( नानक कुञ्ज )
केशव पुरम
नई दिल्ली -110035
011 -27106239
09650621606  

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