अच्छा हुआ दोस्ती का भ्रम भी टूट गया,
अपने पराये का फर्क जल्द सूझ गया।
जो थे मेरे मुरीद, कल तक अमीरी में,
गरीबी में अपनो का भी साथ छूट गया।
चंद लोग कल भी मेरे थे, आज भी साथ हैं,
बेबशी के दौर में,दोस्त परखना सीख गया।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
अपने पराये का फर्क जल्द सूझ गया।
जो थे मेरे मुरीद, कल तक अमीरी में,
गरीबी में अपनो का भी साथ छूट गया।
चंद लोग कल भी मेरे थे, आज भी साथ हैं,
बेबशी के दौर में,दोस्त परखना सीख गया।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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