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Sunday, February 2, 2014

muktak-kitane paas hokar bhi ham

कितने पास होकर भी हम, अब कितने दूर निकल गए हैं,
वसुधैव कुटुंबकम् से निकल, ग्लोबल विलेज हो गए हैं।
भावना थी परिवार की, भारतीय संस्कृति का सार,
ग्लोबल विलेज के मुखिया, सिरमौर हो गए हैं। 

डॉ अ कीर्तिवर्धन 


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