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Friday, February 21, 2014

boond thi main meetha tha paani

जब बूँद थी मैं, मीठा था पानी,
समन्दर बनकर खारी हो गयी हूँ।
था वुजूद मेरा बूँद के रूप में,
समन्दर में मिलकर मैं खो गयी हूँ।


डॉ अ कीर्तिवर्धन

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