कुछ लोग रास्ता बनाते हैं, आगे बढ़ते जाते है,
कुछ राह में कांटे बिछाते हैं,वहीँ खड़े रह जाते हैं।
कुछ देश के विकास की बात करते, सपने सजाते हैं,
कुछ लोग राह रोकने को, तीसरा मोर्चा बनाते हैं।
क्या योजनायें, क्या नीतियाँ देश चलाने की होंगी,
जो मुश्लिमों के पैरोकार, धर्मनिरपेक्ष बताये जाते हैं।
संसद के हमलावर हों या मुम्बई के आंतकवादी,
तुष्टिकरण के नाम पर, सिरमौर बनाये जाते हैं।
सम्पूर्ण विश्व ने देखा था, बुद्धा की मूर्ति का भंजन,
दहशतगर्दों को छोड़ पुलिस, भैंसों को खोजा करते हैं।
कुछ भ्रष्टाचारी आज यहाँ, सत्ता संरक्षण में पलते हैं,
लँगडे की बैशाखी से भी, जो चीर हरण कर लेते हैं।
टू जी, थ्री जी, कोलगेट, घोटालों में जो लिप्त रहे,
आज वही भ्रष्टाचार की जंग में, लड़ते देखे जाते हैं।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
कुछ राह में कांटे बिछाते हैं,वहीँ खड़े रह जाते हैं।
कुछ देश के विकास की बात करते, सपने सजाते हैं,
कुछ लोग राह रोकने को, तीसरा मोर्चा बनाते हैं।
क्या योजनायें, क्या नीतियाँ देश चलाने की होंगी,
जो मुश्लिमों के पैरोकार, धर्मनिरपेक्ष बताये जाते हैं।
संसद के हमलावर हों या मुम्बई के आंतकवादी,
तुष्टिकरण के नाम पर, सिरमौर बनाये जाते हैं।
सम्पूर्ण विश्व ने देखा था, बुद्धा की मूर्ति का भंजन,
दहशतगर्दों को छोड़ पुलिस, भैंसों को खोजा करते हैं।
कुछ भ्रष्टाचारी आज यहाँ, सत्ता संरक्षण में पलते हैं,
लँगडे की बैशाखी से भी, जो चीर हरण कर लेते हैं।
टू जी, थ्री जी, कोलगेट, घोटालों में जो लिप्त रहे,
आज वही भ्रष्टाचार की जंग में, लड़ते देखे जाते हैं।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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