समीक्षा-सच्चाई का परिचय पत्र
कड़वा सच कहने का साहस ----सच्चाई का परिचय पत्र
आज के युग में सत्य बोलना, सत्य का अनुसरण करना अथवा सच्चाई का आयना दिखाना किसी भी तरह से आसान कार्य नहीं है फिर अपने विचारों व अनुभवों को “सच्चाई का परिचय पत्र” का रूप देकर प्रस्तुत कर देना निसंदेह यह एक साहसिक प्रयास है। यह दुरूह प्रयास कवि अ कीर्तिवर्धनबख़ूबी करते हैं जब वह कहते हैं-
राहत सामग्री को बेच दिया गया है,
मंत्री जी के स्वागत में जश्न मनाया गया है।
कलतक जो अधिकारी बदनाम हो गया था,
मंत्री जी की सेवा कर,अभयदान पा गया है।
इसी प्रकार मानवाधिकार आयोग के क्रियाकलापों पर उंगली उठाते हुए कवि कहता है--
हत्यारों, आतंकवादियों व बलात्काकियों को पकड़ना व सज़ा देना
आयोग को नियमो का उल्लंघन नजर आता है।
क्या आप जानते हैं
आयोग किसके दम पर चलते हैं? फंड कहाँ से मिलते हैं ?
तथाकथित धर्मनिरपेक्षता पर प्रहार करते हुए कीर्ति जी बिना किसी लाग-लपेट के कहते हैं ……
सभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग
अपने स्वार्थ को छोड़ दें,
बस
इंसानियत से नाता जोड़ लें
और
सिर्फ इतना जान लें कि
खून सिर्फ खून होता है
हिन्दू-मुसलमान नहीं होता है ….
“विकलांग” कविता में कवि दबे-टूटे मनोबल वाले लोगों को प्रेरित करते हुए कहता है -----
मेरी प्रेरणा सदैव वो लोग बने हैं
जो विकलांग होकर भी
भीड़ से आगे चले चले हैं।
काव्य संग्रह की भाषा व्यंग से ओत-प्रोत है लेकिन कुछ कवितायें जैसे -गिद्ध, बेबस नारी, प्याऊ संवेदनात्मक अभिव्यक्ति में अत्याधिक सफल हैं। अन्य कवितायें पढने में रोचक हैं।
इस काव्य संग्रह को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि साहित्य समाज सभी कविताओं को ह्रदय से स्वीकार करेगा। इन कविताओं को पढ़ा जायेगा उनमे से बार-बार नए रेशे निकलेंगें। यह सारगर्भित कृति अपने नाम के अनुरूप सच्चाई के आलोक से पाठकों को सदैव आकर्षित करने में सफल होगी।
समीक्षक-
अरविन्द श्रीवास्तव
छोटा बाज़ार ,माता मंदिर से आगे
दतिया-475661 (मध्य प्रदेश)
9425726907
पुस्तक-सच्चाई का परिचय पत्र
कवि -डॉ अ कीर्तिवर्धन
विद्यालक्ष्मी निकेतन
53 -महालक्ष्मी एन्क्लेव
मुज़फ्फरनगर-251001 (उत्तर प्रदेश)
8265821800
मूल्य-100 /-
प्रकाशक-मिनाक्षी प्रकाशन, दिल्ली-110092
No comments:
Post a Comment