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Monday, June 9, 2014

prayavaran--kundali

पर्यावरण पर

चलो लगाएं एक वृक्ष, बचें ताल-तड़ाग,
चाहे जितनी तब यहाँ, नभ से बरसे आग।
नभ से बरसे आग, नहीं कुछ जल पायेगा,
वृक्षों का साया, सबका रक्षक बन जायेगा।
चाहो “कीर्ति” धरती, अम्बर, जल बच जाये,
करें संरक्षण प्रकृति का, वृक्ष धरा पर चलो लगायें।


डॉ अ कीर्तिवर्धन

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