बलात्कार-धर्मनिरपेक्षता (2005 में लिखी गयी रचना)
एक महिला के साथ
जब होता है बलात्कार
देखा यह जाता है
करने वाला कौन था
हिन्दू या मुसलमान
क्या थी उसकी पहचान ?
फिर देखते हैं
महिला कौन थी
किस जाति से आती थी
वोटों की राजनीति
उसे कहाँ लाती थी
तब
उसका मूल्यांकन किया जाता है
सभी तथाकथित
धर्मनिरपेक्ष लोगों द्वारा
उस पर विचार किया जाता है।
लाभ का हिसाब लगाकर
प्रचार किया जाता है।
प्रचार का केंद्र
पीड़ित महिला नहीं होती
बस केवल
तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों की
पेपर पब्लिसिटी होती है।
महिलाओं के हितों में कार्यरत
महिला आयोग के संज्ञान में भी
बलात्कार तभी आता है
जब उसका राजनैतिक लाभ
उन्हें नजर आता है।
वह पीड़ित महिला
जिसके साथ हुआ बलात्कार
कितनी बेबश है
है कितनी लाचार
पहले तो
एक दरिंदे द्वारा कुचली गयी
अब प्रतिदिन
इन स्वार्थी, तथाकथित
धर्मनिरपेक्ष लोगों द्वारा
सार्वजनिक रूप से
अखबारों में, रेडियो -टी वी पर
होती रही बलात्कृत।
क्या आपने सुनी है कभी
उस बेबश की चीत्कार
क्या मिल पायेगा कभी
उस पीड़िता को न्याय
अथवा वह बनी रहेगी
केवल हिन्दू और मुसलमान
या बनी रहेगी खिलौना
झूठी धर्मनिरपेक्ष ताकतों का ?
क्या बन पाएगी कभी
वह एक पीड़ित महिला ?
इतना ही नहीं
यदि महिला मुसलमान है
बलात्कारी हिन्दू है
महिला हरिजन है
बलात्कारी स्वर्ण है
तभी तो बलात्कार के
इस कुकृत्य में दम है।
वही तथाकथित धर्मनिरपेक्ष
लोगों के लिए खबर गर्मा गर्म है।
इससे ही तो
अखबारों को समाचार मिलता है
कुछ धर्मनिरपेक्ष लोगों को
प्रचार मिलता है
बेरोजगार चमचों को
रोजगार मिलता है
धर्मनिरपेक्षता को प्रसार मिलता है।
काश
मेरे देश के सभी राजनैतिक दल
तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग
अपने स्वार्थों को छोड़ दें
सिर्फ इतना जान लें
खून सिर्फ खून होता है
हिन्दू और मुसलमान नहीं होता
हरिजन और स्वर्ण भी
कोई पहचान नहीं होता।
बलात्कारी
हिन्दू हो या मुसलमान
हरिजन हो या स्वर्ण
वह केवल अत्याचारी होता है
महिला केवल महिला होती है
वहां भी कोई पहचान नहीं होती है।
सम्पूर्ण घटना क्रम के बाद
महिला आयोग आता है
पीड़ित महिला का दर्द
आयोग को नहीं सताता है।
लाभ व नाम का मूल्यांकन कर
जाँच का खेल कराता है।
ईराक, फिलिस्तीन, भारत, पाकिस्तान
महिला का दर्द नजर नहीं आता है।
हत्यारों, बलात्कारियों को पकड़ना
मृत्यु दंड की सज़ा देना
इन आयोगों को
मानवाधिकार का उल्लंघन
नजर आता है।
क्या आप जानते हैं
आयोग किसके दम पर चला करते हैं
इन्हे सुविधा और धन
कहाँ से मिला करते हैं ?
यह सवाल सबके सम्मुख खड़ा हुआ
आयोग की कार्य कुशलता पर
प्रश्न चिन्ह लगा हुआ।
अब पीड़ित महिला खो गयी है
तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों की
राजनीति गर्म हो गयी है
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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