चलो आज फिर से वहीँ लौट जाएँ....
मुझे याद आते हैं वो जीवन के लम्हे
गुजारे हैं संग संग सदा हँसते हँसते |
वो गीतों का गाना ,तुम्हारा गुनगुनाना
पूनम की रातें,और छत पर जाना |
बाँहों में बाहें और सपने सजाना
कल की हैं बातें जब छेड़ा था तराना |
याद आ रहा है वह सावन का महीना
पहली पहली बारिस,संग संग भीग जाना |
कभी छुप के मिलना,निगाहें चुराना,
तन्हाई की खातिर कभी पिक्चर जाना|
रखकर हाथ उस रोज मेरे लब पर
नयनो के दर्पण में दिल की बात पढ़ना |
चलो आज फिर से वहीँ लौट जाएँ
फिर से युवा बन गीत कोई गायें |
खिले हैं बगिया में पुष्प प्यारे प्यारे
उन्ही को निहारे उन्ही को संवारे |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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