किस हँसी की बात करते हो ?
बच्चों की हँसी मासूम लगती है,
दुष्टों की हँसी नासूर बनती है।
कुछ हँसते हैं फकत जलाने के वास्ते,
क़ातिल की हँसी से दहशत उपजती है।
देखा है हँसते हुए दरिंदों को यहाँ पर,
नेताओं की हँसी से, शै-मात झलकती है।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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