सत्यांजलि
सत्य का वन्दन सदा, भारत की पहचान है,
देश की तक़दीर में, विश्व गुरु का स्थान है।
किस्मत बदलना जानते हैं, कर्म पर विश्वास है,
गरीबी में भी हँसके जीना, भारतियों की शान है।
प्रकृति का हो संरक्षण, धर्म ने हमको सिखाया,
भू,गगन,वायु अग्नि नीर से, मिल बना भगवान है।
नारी सदा ही पूजनीय, बुजुर्ग आदरणीय यहाँ,
बच्चों की किलकारियों से, घर बाहर गुँजायमान है।
किसकी है औकात कितनी, कौन फरिश्ता है यहाँ,
जिन्दगी के रंग अनेकों, बस मानवता पहचान है।
भारत के जयचन्दों सुनलो, वतन के पहरेदार हम,
सर उड़ाकर ख़ाक कर दें, हम राष्ट्र भक्त चौहान हैं।
मोहब्बत के हम है पुतले, नफरतों के काल हैं,
महारथी पावन जमीं के, राणा- शिवा की संतान हैं।
तन्हाई से गुजरना, गलतियों पर विचार करना,
कष्टों में भी हम सभी के, लबों पर मुस्कान है।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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