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Tuesday, January 13, 2015

surya ki rashmiypn se jag sadaa urjit rahe

मुक्तक मंथन -31 चित्र चित्र मुक्तक
आदरणीय राजेश कुमार सिन्हा जी ----

सूर्य की रश्मियों से, जग सदा उर्जित रहे,
एक किरण के आगमन से, तम सदा विचलित रहे।  
ज्ञान, अग्नि, तेज- तप, सब पर्यायवाची सूर्य के,
जीवन का प्रतीक सूर्य, नभ में सदा विचरित रहे।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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