मुक्तक मंथन -31 चित्र चित्र मुक्तक
आदरणीय राजेश कुमार सिन्हा जी ----
सूर्य की रश्मियों से, जग सदा उर्जित रहे,
एक किरण के आगमन से, तम सदा विचलित रहे।
ज्ञान, अग्नि, तेज- तप, सब पर्यायवाची सूर्य के,
जीवन का प्रतीक सूर्य, नभ में सदा विचरित रहे।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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