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Friday, February 27, 2015

jab jab badhata samaaj me garibi ka prakop

जब- जब बढ़ता समाज में, गरीबी का प्रकोप,
तब बढ़ता वैमनस्य और सामाजिक आक्रोश।
दीन दुःखी के दर्द को, “कीर्ति” देने को आवाज,
कलम सदा करती रही, जनमत का आगाज़।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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