हमारे कुछ मित्रों को लगता है कि परिवार की महिलाओं द्वारा होलिका का पूजन बेकार की चीज है, केवल कर्म से ही सब कुछ संभव है। हम सब जानते हैं की भारतीय संस्कृति, सभ्यता, रीति रिवाज, व्रत त्यौहार सब कुछ वैज्ञानिक आधार पर आधारित है। कोई नहीं मानता यह उसका अपना कारण हो सकता है मगर इसे बेकार कहे तो मेरा निवेदन है कि इन सभी का अध्यन करें तब प्रतिक्रिया दें।
परम्पराओं का निर्वाह हमें, संस्कृति से जोड़ता,
पुरखों के बनाये नियम, संस्कारों से जोड़ता।
खरा- परखा- तजुर्बा है, विज्ञान कसौटी पर कसा,
रीति- रिवाज का पालन हमें, सभ्यता से जोड़ता।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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