आज मुबीन उस्मानी जी ने एक पोस्ट लिखी है और हुकूमत को नामर्द घोषित किया है, उनकी पोस्ट का जवाब देने का प्रयास किया है ---
हर उर्दू बोलने वालों को, दहशतगर्द नहीं कहते,
किसी दहशतगर्द को भी हम, मर्द नहीं कहते।
तोहमत लगाने से पहले , देखो गिरहबान अपना,
इंसानियत के कातिलों पर, होंठ क्यों कुछ नहीं कहते ?
पेशावर में बच्चों की मौत पर चुप रहने वालों,
यमन में मरने वालों पर भी, क्यों कुछ नहीं कहते ?
हुकूमत को नामर्द बताने की जुर्रत तो रखते हो,
मजहबी दंगाइयों को छुड़ाने वालों को कुछ नहीं कहते ?
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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