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Saturday, June 13, 2015

har baat ke saath ulaahanaa mujhe ab milane lagaa

हर बात के साथ उलहाना मुझे जब मिलने लगा,
हर काम को नाकामियों का फ़साना मिलने लगा,
पाने को शुकूं खुद को औ घर की शांति के वास्ते,
मौन रहा तो गूँगे रहने का भी ताना मिलने लगा।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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